चमत्कारी श्री बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर गुरुदेव श्री धीरेचंद्र कृष्ण शास्त्री जी की फोटो देखे

नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम आपको बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के महाराज धीरेन्द्र कृष्ण के जीवन परिचय के बारे में बताएंगे। जैसो कि आप सभी जानते है कि धीरेन्द्र कृष्ण को हनुमान जी का ही अवतार माना जाता है और लोगों के मन में इनके प्रति श्रद्धा बढ़ती जा रही है। कुछ लोग इन्हें चमत्कारी महाराज के नाम से भी जानते है। आज हर कोई बागेश्वर बालाजी महाराज के बारे में जानना चाहता है। इसलिए इस आर्टिकल में हम आपको इनके जीवन से सभी पहलूओं से अवगत करवाएंगे। तो चलिए जानते है धीरेन्द्र कृष्ण जी या बागेश्वर महाराज कौन है

महाराज धीरेन्द्र कृष्ण जीवन परिचय – Bageshwar Dham Sarkar

bageshwar dham

बागेश्वर धाम के बहुत सारे वीडियो आज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे है जिससे लोगों में बागेश्वर धाम के प्रति श्रद्धा बढ़ती जा रही है। इस धाम पर बालाजी का दरबार लगता है इसलिए यहां हजारों की संख्या में लोग आकर दर्शन करते है। भारत ही नहीं विदेशी भी यहां आकर बालाजी के दर्शन करते है। इस धाम का कार्यभार धीरेन्द्र कृष्ण जी संभालते है। इसलिए इन्हें बागेश्वर महाराज और बालाजी महाराज के राम से भी जाना जाता है।

लोग धीरेन्द्र कृष्ण को हनुमान जी का अवतार मानते है। हनुमान जी का ये मंदिर कई वर्षों पुराना है और धीरेन्द्र कृष्ण की पिछली 3-4 पीढ़ियां इस मंदिर में पूजारी रही है। धीरेन्द्र कृष्ण जी के दादा जी ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था। इस दरबार में काफी सालों से विशाल दरबार लगता है और लाखों की संख्या में यहां श्रद्धालु आते है।

धीरेन्द्र कृष्ण 2003 से इस दरबार को संभाल रहें है। इन्होंने 9 वर्ष के उम्र में हनुमान जी की पूजा करनी शुरू कर दी थी। इन्होंने आज तक अपने सभी कर्तव्यों का पालन किया है जैसे इनके पूर्वज करते आए है। इन्होंने अपने प्रवचनों से श्रद्धालु की श्रद्धा को और ज्यादा मजबूत किया है। धीरेन्द्र कृष्ण ने बचपन से ही हनुमान जी को अपना सब कुछ अर्पित कर दिया। इनका ध्यान खेलकूद की तरफ भी नहीं गया, ये सिर्फ हनुमान जी के पूजा में लीन रहते थे।

आज सभी लोग इनको अपना गुरु मानते है और इनके दर्शन और प्रवचनों को सुनने के लिए बड़ी संख्या में इकट्ठे होते है। इनकी लोकप्रियता का राज यही है कि ये सच्चे मन से ईश्वर से जुड़े हुए है। इन्हें चमत्कारी महाराज भी कहा जाता है क्योंकि लोगों की मान्यता है कि इनकी कही हुई बात कभी गलत नहीं होती है। अब हम इनके जीवन से जुड़ी जानकारियों को देखेंगे-

महाराज धीरेन्द्र कृष्ण जीवन परिचय

धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का व्यक्तिगत परिचय – Dhirendra Krishna shastri

पूरा नाम श्री धीरेन्द्र कृष्ण जी महाराज
उपनाम महाराज बगेश्वरधाम
प्रचलित नाम बागेश्वर वाले महाराज, बालाजी जी महाराज
जन्म तिथि 4 जुलाई 1996
जन्म स्थान गड़ा, छतरपुर, मध्यप्रदेश
निवास स्थान गड़ा, छतरपुर
जाति पंडित
धर्म हिन्दू
नागरिकता भारतीय
राज्य मध्यप्रदेश
राशि चक्र धनु राशि
बोलचाल की भाषाएं अंग्रेजी, हिंदी, बुन्देली, संस्कृत
कार्यकाल 2003 से अब तक
शिक्षा बी ए (B.A)

धीरेन्द्र कृष्ण जी का शारीरिक मापदण्ड

ऊँचाई 5’9 फीट
वज़न 64 किलोग्राम
रंग गोरा
आंखो का रंग काला
बालों का रंग काला

धीरेन्द्र कृष्ण जी का परिवार

पिता का नाम राम करपाल गर्ग
माता का नाम सरोज गर्ग
दादा जी का नाम भगवान दास गर्ग
बहन एक (नाम अज्ञात)
भाई दो भाई (नाम अज्ञात)
पत्नी नहीं
प्रिय दोस्त राजाराम

धीरेन्द्र कृष्ण जी के पुरस्कार

2022
  • संत शिरोमणि
  • वर्ल्ड बुक ऑफ लंदन
  • वर्ल्ड बुक ऑफ यूरोप

धीरेन्द्र कृष्ण जी के सोशल मीडिया अकाउंट

मोबाइल नंबर +919630313211
जीमेल एड्रेस [email protected]
फेसबुक यहाँ क्लिक करें
यूट्यूब चैनल यहाँ क्लिक करें

धीरेन्द्र कृष्ण कौन है ?

इनका जन्म 4 जुलाई 1996 को मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के गड़ा नामक गांव में हुआ। इनके पिता का नाम राम करपाल गर्ग और माता का नाम सरोज गर्ग है। इन्होंने अपने बचपन गड़ा गांव में ही बिताया है। इन्होंने अपने जीवन में सबसे पहले अपने दादा से सीखना शुरू किया था जिसका नाम भगवान दास गर्ग था। इन्होंने ही धीरेन्द्र को रामायण और भागवत गीता पढ़ना सीखाया। धीरेन्द्र का परिवार गरीब था।

बागेश्वर बालाजी धाम

धीरेन्द्र वृंदावन में जाकर कर्मकांड पढ़ना चाहते थे लेकिन उनके पिता के पास पैसे नहीं थे इसलिए वो नहीं जा पाए। इसके बाद धीरेन्द्र मंदिर में बैठकर ही हनुमान की ध्यान करते थे।
आज वे बागेश्वर धाम में महाराज/पुजारी है। यहां हनुमान जी का दव्य दरबार लगता है। धीरेन्द्र कृष्ण यहां प्रवचन देते है। भारी संख्या में श्रद्धालु आते है और इनके प्रवचनों को सुनते है। इसी कारण इन्हें बागेश्वर महाराज और बालाजी महाराज के नाम से जाना जाता है।

बागेश्वर धाम क्या है ?

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में एक गड़ा नाम का गांव है, उसके पास बागेश्वर धाम स्थित है। यहाँ हनुमानजी का मंदिर है। इस मंदिर के पास धीरेंद्र कृष्ण के दादाजी और गुरुजी की समाधि बनी हुई है। लोग यहां मंगलवार के दिन आकर अर्जी लगाते है। मंगलवार के अतिरिक्त किसी भी दिन यहां अर्जी नहीं लगाई जाती है क्योंकि मगंलवार ही बालाजी का वार है।

इस अर्जी को लगाने के लिए लोग एक नारियल को लाल कपड़े में बांधते है और इस नारियल को अपनी मनोकामना बोलकर एक स्थान पर बांध देते है। यहां लांखों की संख्या में नारियल बंधे हुए है। नारियल को बाधंने के बाद 21 बार मंदिर की परिक्रमा लगाते है। माना जाता है कि यहाँ लगी हुई अर्जी कभी विफल नहीं होती है। यहां अर्जी लगाने के लिए बहुत सारे लोग आते है। बागेश्वर धाम में ही भव्य दरबार लगता है जहां धीरेंद्र कृष्ण प्रवचन देते है और लोगों की समस्याओं का समाधान करते है।

बागेश्वर धाम की जानकारी – Bageshwar Dham Chhatarpur

मंदिर का नाम बागेश्वर मंदिर धाम सरकार
बागेश्वर धाम मंदिर के मुख्य पुजारी श्री धीरेन्द्र कृष्ण जी
बागेश्वर धाम सरकार मंदिर का पता Garha, Ganj, Chhatarpur, Madhya Pradesh, India-471105
बागेश्वर धाम सरकार हेल्पलाइन नंबर 8120592371

बागेश्वर मंदिर धाम के टोकन क्या होते हैं ?

यहाँ आने वाले श्रद्धालओं लिए यह ध्यान देने योग्य है कि बागेश्वर मंदिर धाम में मंदिर की सेवा समिति की तरफ से टोकन जारी किये जाते हैं। यदि आप पहली बार मंदिर में दर्शन करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको सेवा समिति के कर्मचारियों से टोकन लेना होगा। टोकन लेने के लिए अपने मोबाइल नंबर और नाम की जानकारी देनी पड़ती है।

बागेश्वर मंदिर धाम के दर्शन के लिए टोकन कैसे प्राप्त करें ?

कोई भी श्रद्धालु अगर मंदिर दर्शन करना चाहता है तो हमें टोकन की जरूरत होगी। मंदिर की तरफ से दिए जाने वाले टोकन प्रत्येक महीने की किसी विशेष तारीखों के दिन वितरित किये जाते हैं। टोकन के लिए समय और तारीख के बारे में जानकारी आप मंदिर के कर्मचारी के द्वारा प्राप्त कर सकतें है। इसके बाद आप उस दिन मंदिर में जाकर टोकन ले सकते हैं और दर्शनके लिए जा सकते हैं। इसके साथ यह भी होता है कि टोकन प्राप्त होने पर आपकी अर्जी बागेश्वर मंदिर धाम में लग जाती है।

घर बैठे अर्जी कैसे लगाएं?

यह उपाय उन भक्तों के लिए है जो कई बार बागेश्वर धाम जा आये पर उनका पर्चा नहीं बन पाया।
महाराज जी दरबार में खुद कहते है कि जितने भी भक्त बागेश्वर धाम में आते हैं, उन सभी की अर्जी लग पाना मुश्किल है। इसीलिए महाराज खुद कहते हैं कि आप इस उपाय को करके बागेश्वर धाम की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
घर पर एक नारियल लें और लाल कपड़ा बिछाएं। इस नारियल को कपड़े में लपेट कर रखें और ओम बागेश्वराय नमः मंत्र का जाप करके बागेश्वर धाम की महिमा को प्राप्त कर सकते हैं।
इस मंत्र को बोलने के बाद आपकी जो भी अर्जी हो, दो या तीन प्रश्न बोल दें।बालाजी की आप पर जल्द कृपा होगी और अर्जी की सुनवाई जल्दी होगी। जय बागेश्वर धाम सरकार

Bageshwar Dham Location

bageshwar dham location

बागेश्वर धाम कैसे जाएं ?

बागेश्वर धाम मध्यप्रदेश में एक बहुत ही महत्वपूर्ण पवित्र धार्मिक स्थल माना जाता है। यहां पर श्री हनुमान जी महाराज का एक और स्वरूप श्री बागेश्वर धाम बालाजी महाराज का एक पवित्र स्थल है। दोस्तो अगर ट्रेन से बागेश्वर धाम जाना चाहते है तो बागेश्वर धाम का सबसे नजदीकी और बड़ा रेलवे स्टेशन खजुराहो रेलवे स्टेशन है, जो बागेश्वर धाम से लगभग 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। बागेश्वर धाम अभी तक सीधे रेल मार्ग से जुड़ा नहीं है इसलिए हमें मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध स्थान खजुराहो के लिए ट्रेन पकडनी पड़ेगी।

अगर आप बस से जाना चाहते हो तो आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि बागेश्वर धाम सरकार एक छोटे-से गांव में स्थित है, जिसकी वजह से मध्य प्रदेश के भी सभी शहरों से बस द्वारा बागेश्वर धाम नहीं पहुंचा जा सकता है। आपको  खजुराहो के लिए अपने शहर से बस पकड़ सकते हैं। खजुराहो से बागेश्वर धाम जाने के लिए आपको ऑटो वगेरह आसानी से मिल जाएगी।

इस प्रकार आप यहां पर आसानी से पहुंच सकते हैं और बागेश्वर धाम में जाकर दर्शन कर सकते हैं।

धीरेन्द्र कृष्ण जी का प्रारंभिक जीवन – Dhirendra Krishna Maharaj

धीरेन्द्र कृष्ण के पहले गुरू उनके दादा थे। इनके दादाजी को संस्कृत भाषा अच्छे से आती थी और ये इसमें विद्वान थे। इनके दादाजी महाभारत, रामायण, भागवत कथा और पुराण महाकाव्य का दरबार लगाते थे। इसी कारण लोग इन्हें अपना गुरू मानते थे। धीरेन्द्र कृष्ण ने रामायण और महाभारत का ज्ञान अपने दादाजी से ही लिया। फिर धीरेन्द्र कृष्ण स्कूल जाने लगे। धीरेन्द्र कृष्ण जी गरीब परिवार से थे। इसलिए वे सरकारी स्कूल में जाते थे।dhirendra krishna maharaj biography in hindi

सरकारी स्कूल में इन्होंने 8वीं पास की, लेकिन सरकारी स्कूल 8वीं तक ही था इसलिए इन्हें 5 किलोमीटर दूर गंज नामक गाँव में शिक्षा ग्रहण करने जाना पड़ता था। धीरेन्द्र हमेशा पैदल स्कूल जाते थे। लेकिन ये कभी-कभी ही स्कूल जाते थे। एक महीने में लगभग 5-6 बार ही स्कूल जाते थे। धीरेन्द्र कृष्ण ने 12 साल की उम्र में ही प्रवचन देने शुरू कर दिया था। वे अपने दिन का सर्वाधिक समय हनुमान जी की साधना में लगाते थे। इसी के परिणामस्वरूप इन्हें कई सिद्धियां प्राप्त हुई है।

गंज गांव के स्कूल में इन्होंने 12वीं पास की और बाद में इन्होंने स्नातक स्तर की पढ़ाई करनी चाही। लेकिन रेगुलर पढ़ाई करना मुश्किल था इसलिए इन्होंने अपनी पढ़ाई प्रोइवेट करने की सोची। इन्होंने अपना दाखिला बी ए में करवा लिया लेकिन वे कॉलेज नहीं जाते थे। धीरेन्द्र के दोस्त अच्छे कॉलेजों में शिक्षा ले रहे थे लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण धीरेन्द्र ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इसी

दौरान इनका झुकाव पढ़ाई से हटकर मानव सेवा की ओर चला गया और इन्होंने आगे पढ़ाई नहीं की। धीरेन्द्र जी ने अपने पूर्वजों के मार्गदर्शन को अपना कर्त्तव्य मानते हुए कल्याणकारी कार्य करना चालू कर दिया।

धीरेन्द्र कृष्ण की सफलता की कहानी

धीरेन्द्र कृष्ण ने आर्थिक दृष्टि से कई अचड़नों का सामना किया है। इन्होंने अपना जीवन गरीबी में बिताया है। इनकी शिक्षा भी 8वीं तक सरकारी स्कूल में की है। आगे की पढ़ाई करने के लिए ये पास के गांव गज में जाते थे और हमेशा पैदल स्कूल जाते थे। जब 12वीं कक्षा भी उत्तीर्ण हो गई तो इन्होंने कॉलेज में बी ए के लिए दाखिला करवाया लेकिन रेगुलर पढ़ाई करना इनके लिए संभव नहीं था इसलिए इन्होंने प्राइवेट ही स्नातक स्तर की पढ़ाई की।

इनके सारे मित्र अच्छे कॉलेजों में पढ़ते थे लेकिन इन्होंने कभी उन पर ध्यान नहीं दिया। इनके जीवन के आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए इन्होंने अपने परिवार का पालन पोषण भिक्षा मांगकर किया था। ये पंडित थे इसलिए भिक्षा मांगना इनके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी। आज धीरेन्द्र कृष्ण के पास सब कुछ होते हुए भी ये भिक्षा मांगकर खाते है।
धीरेन्द्र कृष्ण परिवार के सबसे बड़े बेटे थे।

इनके दो भाई और एक बहन है। बड़े होने के कारण परिवार की सारी जिम्मेदारी इन पर ही थी। इनके पिता बहुत कम काम करते थे। इसलिए इनको ही आगे बढ़कर काम करना पड़ता था। बाद में इन्होंने सत्यनारायण भगवान की कथा सुनना शुरू कर दिया। इससे इनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आने लगा। दादा जी बालाजी का दरबार लगाते थे और मंदिर में बहुत सारा चढ़ावा आता था लेकिन इन्होंने कभी भी इन पैसों का उपयोग घर खर्च के लिए नहीं किया।

धीरेन्द्र कृष्ण ने अपना ध्यान ईश्वर भक्ति में लगाया रखा और इसी के बदौलत इनके पास आज बहुत बड़ा दरबार लगता है। लोगों की इनके प्रति बहुत आस्था है। आज ये भव्य भंडारा लगाते है, गरीबों के बच्चों के विवाह करवाते है और निशुल्क भोजन करवाते है।

इन्होंने अपने चमत्कारों और प्रवचनों से बहुत लोकप्रियता अर्जित की है और श्रद्धालुओं में श्रद्धा बढ़ती जा रही है। आज बहुत भीड़ यहां आती है और बालाजी का दव्य दरबार लगता है। धीरेन्द्र कृष्ण ने हाल ही में गरीब कन्याओं 50-60 विवाह करवाए है। इन विवाहों का सारा खर्चा ये स्वयं उठाते है।

क्यों कहते है लोग चमत्कारी महाराज

बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री को लोग चमत्कारी महाराज के नाम से पुकारते है। इसका कारण यह है कि लोग मानते है कि इनके दरबार में लगाई हुई अर्जी कभी विफल नहीं होती है। इनसे मिलने के लिए अर्जी लगानी पड़ती है या आप टोकन भी ले सकते है। धीरेन्द्र कृष्ण व्यक्ति की समस्या बताने से पहले ही बता देते है कि वह यहां क्यों आया है और उसकी समस्या क्या है। अनजान व्यक्ति का नाम बताना आसान नहीं होता है लेकिन धीरेन्द्र कृष्ण नाम से बुलाते है कि आ जाओ, आपकी अर्जी आ गई है। इसी तरह इनके द्वारा बहुत सारे कार्य किए गए है इसलिए लोग इन्हें चमत्कारी महाराज के नाम से बुलाते है।

धीरेन्द्र कृष्ण का भव्य दरबार

यहाँ लाखों लोग अपनी अर्जी लेकर आते है। कहा जाता है कि पहले ये दरबार धीरेंद्र महाराज अपने गांव गड़ा में ही लगाते थे। तब वहां सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते थे। लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ने लगी इसलिए गांव में दरबार लगाना थोड़ा कठिनाई का काम हो गया। इसलिए धीरेन्द्र कृष्ण दूसरे शहरों में जाकर दरबार लगाने लगे।

इस दरबार में बहुत से लोग आते है। धीरेन्द्र कृष्ण किसी भी व्यक्ति को नहीं जानते लेकिन फिर भी वह एक पर्चा लेते है और उस पर आने वाले व्यक्ति का नाम, पता और उसकी समस्या लिख देते है। इसी पर्चे में वे समस्या का समाधान लिख देते है। फिर ये उस व्यक्ति का नाम लेकर उसे बुलाते है कि आ जाओ, तुम्हारी अर्जी लग गई है। धीरेंद्र कृष्ण उनके परिवार के संबंध में भी सब कुछ बता देते है। इसलिए लोग इन्हें चमत्कारी महाराज के नाम से पुकारते है। सोशल मीडिया पर इसका बहुत फैलाव हो चुका है।

धीरेन्द्र कृष्ण रामकथा भी कहते है। इसके लिए वह जगह-जगह जाते है और रामकथा कहते है। इस कथा में उन्हें बहुत सारा चढ़ावा आता है। इस चढ़ावे का उपयोग धीरेंद्र कृष्ण गरीब बच्चों की शिक्षा और शादियों में लगा देते है। इस दरबार में ये हनुमान जी के बारे में बताते है और हनुमानजी की भक्ति करने के लिए श्रद्धालुओं को प्रेरित करते है। हनुमान के साथ इनकी गहरी आस्था जुड़ी है।

अभी कुछ दिन पहले ही रामनवमी पर जुलुस निकाला जा रहा था और लोगों ने इस जुलुस में पत्थर फेंके थे, तब धीरेन्द्र कृष्ण ने लोगों को जाग्रत करने के लिए कहा- ’’जाग जाओ और एक हो जाओ, अगर आप अब नहीं जागे तो आपको बुरा परिणाम भुगना पड़ेगा। जिन लोगों ने इस जुलुस में पत्थर फेंके है उन के घरों पर बुलडोजर चढ़ावा दो।’’ धीरेन्द्र कृष्ण की ये बुलडोजर वाली बात सोशल मीडिया पर आग की तरह फैले गई और लोगों ने इनका समर्थन भी किया।

धीरेन्द्र कृष्ण महाराज को मिला सम्मान

बागेश्वर धाम के महाराज 1 जून से 15 जून तक ब्रिटेन के भ्रमण पर थे। जब वे लंदन पहुंच तो एयरपोर्ट पर धीरेंद्र कृष्ण का बहुत सुंदर तरीके से स्वागत किया गया। इन्होंने लंदन और लेस्टर शहर में जाकर श्रीमत भागवत कथा और हनुमत कथा का वाचन किया। ब्रिटिश संसद द्वारा इन्हें 14 जून को तीन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

धीरेन्द्र कृष्ण महाराज को मिला सम्मान

ये तीन पुरस्कार है- संत शिरोमणि, वर्ल्ड बुक ऑफ लंदन और वर्ल्ड बुक ऑफ यूरोप। भारत के लिए यह बहुत गौरव की बात है। जब धीरेन्द्र कृष्ण को ये पुरस्कार दिए गए तब ब्रिटिश संसद में जय श्री राम की प्रबल ध्वनि गूंज उठी।

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बागेश्वर महाराज और बालाजी महाराज के नाम से जाना जाता है।
  • धीरेंद्र कृष्ण जी बचपन में अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए भिक्षा मांगते थे और आज भी वे भिक्षा मांगते है।
  • धीरेंद्र कृष्ण अपने चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है जो किसी भी अनजान व्यक्ति के बारे में पहले ही एक पर्चे में लिख देते है।
  • इन्होंने अभी तक विवाह नहीं किया है।
  • बागेश्वर धाम के पूजारी के रूप में ये रामकथा और श्री भागवत कथा कहते है।
  • लोगों की मान्यता है कि बागेश्वर धाम में लगी अर्जी कभी विफल नहीं होती है।

निष्कर्ष

धीरेन्द्र कृष्ण एक ऐसे संत है जिन्हें आज करोड़ो लोग फॉलो करते है। इनकी चमत्कारी शक्तियों से कारण ये बहुत फेमेस है। लोग दूर-दूर से इनके प्रवचन सुनने के लिए आते है। विदेश में भी इनका नाम चलता है। बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) में लगने वाले दिव्य दरबार के बारे में भी बताया गया है। इस आर्टिकल से आपको पता चल गया होगा कि इन्होंने अपने जीवन में सफलता पाने के लिए इन दौरों से गुजरना पड़ा है और आखिरकार ये कैसे सफल हुए है। इनके चमत्कारों के बारे में भी इस आर्टिकल में विस्तार से दिया गया है। अगर आपको इस आर्टिकल के संबंध में कोई भी संशय हो तो आप हमें कमेट बॉक्स में पूछ सकते है, आपके संशय का समाधान किया जाएगा।

अगर आपको आज का आर्टिकल पसंद आया तो आप इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि जो लोग धीरेंद्र कृष्ण जी के बारे में जानना चाहते है, उन तक ये जानकारी पहुंच सके।

FAQ

1. बागेश्वर धाम के गुरु जी का नाम क्या है?

उत्तर- धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री।

2. धीरेन्द्र कृष्ण का जन्म कब और कहाँ हुआ ?

उत्तर- धीरेन्द्र कृष्ण जी का जन्म 4 जुलाई 1996 को मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के गड़ा नामक गांव में हुआ।

3. बागेश्वर धाम में कौनसे भगवान का मंदिर है ?

उत्तर- हनुमान जी का।

4. बागेश्वर धाम में अर्जी किस वार को लगाई जाती है ?

उत्तर- मंगलवार को।

5. बागेश्वर धाम बालाजी कौन से जिले में पड़ता है?

उत्तर-  यह चर्चित धाम मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में है।

6. बागेश्वर धाम में अर्जी कैसे लगती है?

उत्तर- बागेश्वर धाम के लिए हम घर बैठे अर्जी लगा सकते है। घर बैठे अर्जी आप सिर्फ मंगलवार को लगवा सकते हैं और अगर आप टोकन नहीं ले सके है तो  घर पर ही अर्जी लगवाने के लिए सबसे पहले आपको लाल वस्त्र लेना हैं और  नारियल को उस लाल कपडे में बांधकर अपनी अर्जी को बांध देना हैं। इसके बाद आपको “ॐ बागेश्वराय नमः” मंत्र का उच्चारण करना हैं।

7. बागेश्वर धाम का दरबार कब लगता है?

उत्तर- आमतौर तौर पर जनता के लिए दरबार समय अनुसार लगता है। और वैसे हर हफ्ते में  दो दिन मंगलवार और शनिवार को लगता है।

8. बागेश्वर धाम क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर- मध्यप्रदेश में छतरपुर के पास गढ़ा में बागेश्वर धाम स्थित है, यहाँ पर बालाजी हनुमानजी का चमत्कारिक मंदिर है। मंदिर के पास ही धीरेन्द्र कृष्ण जी महाराज के दादाजी का समाधी स्थल और उनके गुरुजी का समाधी स्थल है। यहाँ रोजाना लाखों लोग अपनी आस्था के चलते अपने बाला जी के दर्शन करने आते है। कहा जाता है कि यहाँ जो भी मन्नतें होती है वो जरुर पूरी होती है।

9. धीरेन्द्र कृष्ण को कौन-कौनसे पुरस्कार मिले है ?

उत्तर- संत शिरोमणि, वर्ल्ड बुक ऑफ लंदन और वर्ल्ड बुक ऑफ यूरोप

10. धीरेन्द्र कृष्ण के दादाजी का क्या नाम है ?

उत्तर- भगवान दास गर्ग। इन्होंने ही धीरेन्द्र कृष्ण को रामकथा और श्री भगवत कथा कहना सिखाया था।

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